Language conducive environment (भाषा अनुकूल वातावरण)

 

Language Conducive Environment(भाषा अनुकूल वातावरण)

 


 ऐसा वातावरण जहां बच्चों पर सही जवाब देने का दबाव न हो, उनको खुद गलतियां सुधारने का मौका मिले, वह अपने आसपास चल रही गतिविधियों को देख और सुनकर सीख पाए, उसको खूब सारे मौके दिए जाएं, अपनी बात कहने के, पढ़ने के और लिखने के | इस प्रकार के वातावरण को भाषा अनुकूल वातावरण कहा जाता है जिस प्रकार एक बच्चा अपनी मातृभाषा अपने घर व परिवेश के natural set-up में unconsciously सीख लेता है उसी प्रकार विद्यालय में Language Conducive Environment(भाषा अनुकूल वातावरण) का निर्माण करने से बच्चों को English Language सीखाने में मदद मिलेगी |


जब स्कूल में अंग्रेजी सिखाने की बात आती है तो हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि जिससे बच्चा अंग्रेजी भाषा सीखने के प्रति अपनी रुचि जागृत करें | क्या बच्चे के लिए उपरोक्त माहौल (घर जैसा वातावरण ) स्कूल में अंग्रेजी भाषा के लिए बना सकते हैं ?

 क्या विद्यालय में भाषा अनुकूल वातावरण बनाया जा सकता हैं ?

 

नीचे कुछ factors point out किये गए हैं जो विद्यालय में Language Conducive Environment(भाषा अनुकूल वातावरण) बनाने में मददगार सिद्ध होंगे |


1 - Lot of interaction with children- बच्चों को एहसास दिलाएंगे कि हम भी उनके विचार जानने और समझने के इच्छुक है, तो खुलकर वे अपनी बात रखने की कोशिश करेंगे |


2 – Using as much English possible in these interactions- words& small sentences –
बच्चों से रोज की बातचीत में छोटे-छोटे अंग्रेजी के शब्द इस्तेमाल करना,छोटी-छोटी instructions अंग्रेजी में देना चाहिए | ये चीजें बच्चों पर गहरा प्रभाव डालती हैं |

जैसे- very good, good morning, sit down, come in, well done, school etc.ये शब्द बच्चे अक्सर सुनते है और बार-बार सुनने से इसका उच्चारण और अर्थ भी समझने लगते हैं |


3 – Talking with children, both inside and outside classroom -
दोनों ही जगह कक्षा के अंदर और कक्षा के बाहर बच्चों के साथ बात करना जरूरी है क्योंकि अंग्रेजी सिर्फ subject  नहीं है व्यक्त करने का माध्यम भी है वह एक भाषा भी है बच्चों को अपने साथ comfortable कराना भी जरूरी है ताकि वह खुलकर आपसे बात कर सके | जब बच्चा आपके साथ सहज व अपनत्व महसूस करता है तो बच्चा अपनी बात को आपसे शेयर कर पाता है |


4
– Designing activities which remove fear of English, help unconscious learning, blending with regular activities -
 विद्यालय में ऐसी activities  के जरिए हम भाषा सिखा सकते हैं जो बच्चों की जिंदगी का पहले से ही हिस्सा हो | उन्हें कुछ अलग सा न लगे, नई भाषा अपनी जिंदगी से घुलती मिलती नजर आए | विद्यालय में हम क्लासरूम या क्लास रूम के बाहर जो भी गतिविधि कराते हैं वह ऐसी डिजाइन की गई हो जिससे कि बच्चे के अंदर अंग्रेजी भाषा के प्रति डर पैदा ना हो | बच्चों के लिए डिज़ाइन की गयी गतिविधि में अंग्रेजी के छोटे-छोटे शब्दों व वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए जिसे बच्चा पहले से ही जानता हो |
ये कुछ common factors थे जो विद्यालय में Language Conducive Environment(भाषा अनुकूल वातावरण) तैयार करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं |


यह तो समझ आ रहा है कि जाना किस ओर है, करना क्या है, पर कई बार ऐसा हो जाता है कि यह सब जानते हुए भी, यह करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्यों ? कौन से challenges हैं जो अंग्रेजी सीखने और सिखाने के लिए रुकावट बनते हैं |आइये थोडा समझे –


बच्चों के परिवेश में इस भाषा का ना होना आज का सबसे बड़ा challenge  है घर जाकर बच्चे अंग्रेजी में बोलते नहीं, पढ़ते नहीं, सुनते नहीं, ऐसे में बच्चों का परिवेश ही बच्चों का अंग्रेजी सीखने में सबसे बड़ा challenge माना जाता है |
लेकिन बच्चे अपने परिवेश से जो भाषा सीख कर आते हैं, वह अंग्रेजी सीखने में मददगार हो सकती है उनकी पहली भाषा को अर्चन के रूप में न देखकर एक सेतु (ब्रिज) की तरह देखने की जरूरत है जो उन्हें अंग्रेजी से connect करने में मदद कर सकता है|


बच्चे पहली भाषा के कौशल जैसे ध्वनियों की पहचान’, व्यक्त करने का प्रवाह, शब्दों को पहचानने की प्रक्रिया- यह सब कौशल अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए ट्रांसफर किए जाते हैं |


पहली भाषा के skill को अंग्रेजी सिखाने में इस्तेमाल करने के लिए बच्चों को दिए गए हमारे इनपुट(inputs) का सही होना जरूरी है | skill transfer कर पाने के लिए जो टूल इस्तेमाल होता है वह हमारे हाथों में है वह हमारे हाथ में हैं | अर्थात बच्चे को अंग्रेजी भाषा में जितना अधिक exposure या inputs मिलेगा response भी उतना ही अच्छा मिलेगा |

 यहां जिन inputs  की बात की जा रही है उसे हम comprehensible input कहते हैं जो भी पिछली जानकारी बच्चे के पास है उसको संदर्भ में रखते हुए कुछ नया सिखाने की कोशिश |

जैसे बच्चा घर से good morning, good evening शब्दों को जनता है और विद्यालय में Language Conducive Environment(भाषा अनुकूल वातावरण) set-up में भी सुबह और शाम को इन शब्दों को उच्चारित करता है तो बच्चे को good morning शब्द introduce करना आसान होगा बजाय की नए शब्द के |
comprehensible input का इस्तेमाल सोचे समझे क्रम में किया जा सकता है|


1
Initial dialogue-

2- Vocabulary building.

3- Making familiar with the language.

4- From listening to speaking to finally being open and expressing themselves.

बच्चों से किसी भी context पर अधिक से अधिक संवाद करना चाहिए जिससे बच्चों का शब्दकोष बढेगा और अंग्रेजी के शब्दों से परिचित होंगे | वे पहले सुनेंगे,बोलेंगे और फिर अपनी बात रख सकेंगे |


 अन्य बहुत से तरीके और माध्यम हो सकते हैं जिनसे हम बच्चों को comprehensible input दे सकते हैं कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं इनको अपने बच्चों की समझ और जरूरत के अनुसार कुछ बदला भी जा सकता है |

 

1-Through pictures –such that they will help children to visualize something they already know.

2 – Through stories – based on children’s culture, their geography.

3- Through Rhymes- based on activities and tasks that children enjoy doing.

4- Through games.

5 – Through TLMs.

जब हम कक्षाकक्ष में बच्चों से किसी context में बातचीत कर रहे होते हैं तो क्या पूरी तरह अंग्रेजी में करना चाहिए या अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में translation  कर समझाना चाहिए ,कौन सा idea बच्चों के अंग्रेजी सीखने में प्रभावीशाली होगा ?

 

classroom में पूरी तरह से इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल करने से कुछ परेशानियां हो सकती हैं |

 

1 - अगर बच्चा पहली कक्षा में है तो नयी भाषा से डर सकता है |

2-  उसे ऐसा लगेगा कि कक्षा में क्या हो रहा है ,क्योंकि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा होगा |

3- वह अपने संकोच व नयी भाषा की अनभिज्ञता के कारण जबाब देना बंद कर सकता है |

 

 classroom में पूरी तरह से इंग्लिश भाषा का translation हिंदी में करके  इस्तेमाल करने से कुछ परेशानियां हो सकती हैं |

 

1 – बच्चा कभी पूर्णतः अंग्रेजी बोल और सीख नहीं सकता क्योंकि उसे हर शब्द translate कर हिंदी में बताया जाता है |

2 – हिंदी में बातचीत से बच्चे मातृभाषा का अंग्रेजी भाषा से लिंक नहीं कर पाते |

3 – बच्चे अंग्रेजी का कहाँ और कैसे प्रयोग करना है समझ नहीं पाते |


प्रयास यह नहीं है कि पहली भाषा को अंग्रेजी में convert किया जाए या पहली भाषा का महत्व खत्म कर दिया जाए | प्रयास  यह है कि पहली भाषा को महत्त्व  और कक्षा  में जगह देते हुए पहले से मौजूद skill (जैसे सुनने का कौशल, ध्वनियों की पहचान, व्यक्त करने का प्रवाह जो अपनी मातृभाषा में जानता है) को छोटे – छोटे प्रयासों से बढ़ाया जाय और अंग्रेजी सीखने में मदद ली जाय | इस प्रकार का input पूर्णतः comprehensible input नहीं कहा जा सकता , अंग्रेजी भाषा सीखने में comprehensible input तभी पूर्ण माना जाएगा जब बातचीत मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी के कुछ शब्दों को mix कर की जाय |

 

Code- mixing – children understand some things in their own context and language. Can this visualization of children be linked to a new language? Use the first language as a foundation and on it –Code-mixing. Codemixing leads to the rise of need.

 

( बच्चे अपने व अपनी भाषा के सन्दर्भ में कुछ चीजें समझते हैं तो क्या बच्चों की visualization को नयी भाषा से जोड़ा जा सकता हैं ? हाँ , यह किया जा सकता हैं कि पहली भाषा को foundation (नींव) के रूप में प्रयोग करें और अंग्रेजी सीखने के लिए code mixing का निर्माण करें)

 

code-mixing  कैसे की जाती है ? एक उदाहरण - 👇

 

          "ऐसे मिला छिपा खजाना"

 एक  old man  जिसके sons lazy थे, death के करीब था | old man ने सोचा कि मेरे death के बाद उनका क्या होगा ? old man ने सभी sons को बुलाया and  कहा, मैंने field में खजाना छिपा रखा है इतना कहते ही old man की death हो गयी | old man के death के कुछ days के बाद सभी  sons ने  खजाने की खोज के लिए all fields खोद दिए but खजाना नहीं मिला | तब village के ही एक old man ने खोदे गए fields में बीज बोने की advice पर उन्होंने कुछ बीज बोये |कुछ time बाद सारे fields में गेहूँ की good फसल हुई |उन्हें यह खजाने की तरह लग रही थी | यही old man का hiden खजाना था |

 

                            

                                     “धन्यवाद”👍👍

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