भारत में पाए जाने वाले 4 सबसे जहरीले साँप || 4 Most Venomous Snakes Found in INDIA ||

 ||भारत में पाए जाने वाले प्राणघातक सबसे जहरीले साँप ||

भारतीय महाद्वीप के घने जंगल व सम-शीतोष्ण जलवायु साँपों के रहने के लिए एक अनुकूलतम वातावरण प्रदान करता है इसलिए भारत में लगभग 270 प्रजातियों के सांप पाए जाते है | इनमे से सभी प्रजातियों के सांप जहरीले नहीं होते परन्तु कुछ प्रजातियाँ बहुत अधिक जहरीली होती हैं जिनके काटने से समय पर उपचार न मिलने से मृत्यु भी हो जाती है |

Centre for global health research द्वारा यूनाइटेड किंगडम के सहयोग से भारत में दो दशकों (वर्ष 2000 से 2019 तक) से साँप के डंसने से हुई मौतों का अध्ययन किया गया | अध्ययन के अनुसार पिछले दो दशकों (वर्ष 2000 से 2019 तक) में सर्पदंश से मरने वालों की संख्या लगभग 12 लाख थी इस आंकडें के अनुसार भारत में प्रति वर्ष लगभग 60 हजार लोग साँप के डंसने से मरते है और अधिकांश लोगों की मौत रसेल वाईपर,कोबरा,अफाई और करैत के डंसने के कारण हुई थी |

अध्ययन के अनुसार सर्पदंश के आधे से अधिक मामले माह जून से सितम्बर माह के मानसूनी अवधि में देखे गए और लगभग 90% से अधिक मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुई|भारत में सर्पदंश से सर्वाधिक मौतें उत्तर प्रदेश,आन्ध्र प्रदेश और बिहार में हुई |

इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते है भारत में पाए जाने वाले चार सबसे जहरीले साँप कौन कौन से है ?


कोबरा /साँपों का राजा (King cobra / Ophiophagus hannah)



किंग कोबरा के जेनेरिक नाम Ophiophagus है जिसे ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ 'सांप-भक्षक' है |

भारत सहित बांग्लादेश, म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि में पाया जाने वाला किंग कोबरा बहुत ही जहरीला सांप माना जाता है  एक व्यस्क किंग कोबरा की लंबाई लगभग 12 से 15 फीट होती है परन्तु कभी कभी 20 फीट तक के किंग कोबरा भी देखे गए | कोबरा में इतना जहर होता है अगर वह हाथी को भी काट ले तो उसकी भी मौत हो जाती है कोबरा एक ऐसा शिकारी है जो जानवरों, इंसानों के अलावा दूसरे सांपों को भी अपना शिकार बना लेता है चाहे वह जहरीले ही क्यों न हो |किंग कोबरा सांप का औसतन जीवनकाल 15 से 20 साल तक होता है कोबरा सांप ही ऐसे सांप है जो अपने रहने के लिए घर (घोंसला) बनाते हैं और उन्हीं में अंडे देते हैं और उन अंडों की रक्षा हुए स्वयं करते हैं | कोबरा को कितना जहर का स्राव करना है यह वह स्वयं ही तय करते हैं इसी कारण हुए काटते समय कभी-कभी बिना जहर उगले भी काट लेता है कोबरा सांप अपनी कुल लंबाई के तिहाई हिस्से  तक खड़े होने में सक्षम होते है कोबरा सांप अन्य सांपों की तरह पानी में तेजी से तैर सकते हैं इसी कारण कोबरा सांप नदी के किनारे, झीलों, तालाबों वाले स्थानों पर पाए जाते हैं तथा कई महीनों तक बिना खाना खाए जीवित रह सकते हैं कोबरा सांप की शारीरिक संरचना इस तरह की होती है कि वह तापमान में होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तनों को आसानी से महसूस कर लेता है भारत में किसी प्रकार के जानवरों को मारना और पालना अपने व्यवसायिक उद्देश्य के लिए प्रयोग करना गैरकानूनी है इसके लिए सजा का प्रावधान भी है | कोबरा सांप अपने थूक को अपनी आधी लंबाई तक फेंकने में सक्षम होते हैं कोबरा सांप धरती में होने वाली कम्पन्न (तरंगों) को ही महसूस कर सकता है लेकिन ऊँचाई में होने वाले कम्पन्नों को वह महसूस करने में असमर्थ होता है कोबरा सांप पेड़ों में चलने में माहिर होते हैं यह सांप सुन नहीं सकते यह सिर्फ चीजों की कम्पन्न से ही अनुमान लगाता है कोबरा के काटने पर एंटीडोज  के रूप में एंटी वेनम का प्रयोग किया जाता है जो कोबरा के ही जहर से बनाया जाता है किंग कोबरा की आंखें इतनी तेज होती है कि वह अपने शिकार को 100 मीटर दूर से ही आसानी से भाँप लेता है खास बात यह है कि इतना जहरीला होने के बावजूद भी इसके जहर का असर नेवले पर नहीं होता है इसी कारण नेवला सांप के ऊपर हावी होता है एक बार काटने पर किंग कोबरा इतना जहर निकाल निकालता है कि लगभग 20 आदमी या एक हाथी मर सकता है किंग कोबरा के काटने पर किसी इंसान को समय पर उपचार न मिले तो मात्र 30 मिनट में वह आदमी मर सकता है |


करैत (Common Krait / Bungarus caeruleus)




भारत में पाए जाने वाले साँपों में से एक प्रजाति कॉमन करैत भी है | यह प्रजाति अत्यंत जहरीली होती है | यह सांप सामान्यतया आकर में 3 – 4 फीट तक के होते हैं परन्तु अधिक उम्र होने पर 5 – 6 फीट तक हो सकती है | कॉमन करैत का रंग कालेपन के साथ हल्का नीला चमकदार होता है | देखने में ऐसा लगता है जैसे अभी-अभी केंचुल छोड़ा हो। दूसरे सांप केंचुल छोड़ने के बाद जितने चमकीले होते हैं उतना यह सांप ऐसे ही दिखता है | करैत साँप कितना ही लम्बा क्यों न हो मगर मोटा कम ही होता है |

इस सांप को पहचानने का एक तरीका इसका आकर और रंग भी है | यह साँप लम्बा कितना भी हो मगर मोटा कम ही होता है और इसका रंग कालेपन के साथ नीला चमकीला होता है और इसके शरीर में बराबर दूरी में उजले रंग की दोहरी धारियाँ बनी होती है तथा यह ऊपर से बिल्कुल काला तथा नीचे से पलटने पर सफ़ेद दिखता है |

कॉमन करैत को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि यह सांप (late night movement) रात में निकलना पसंद करते है क्योंकि इसका भोजन मुख्यतया चूहे, मेंढक और छोटे सांप होते हैं जो रात में दिन की अपेक्षा अधिक मिल जाते हैं | और करैत साँप के विष दांत सूई की तरह बेहद पतले  और छोटे होते है। रात्रि के अँधेरे में अगर यह साँप किसी को डंसता है तो कभी कभी लोगों को पता तक नहीं चलता क्योंकि इसके डंसने से न ज्यादा बड़ा घाव होता है न ही अधिक दर्द |

यह साँप अधिक ठण्ड सहन नहीं कर सकता है इसलिए यह पुराने कपड़ों , घरों के अन्दर गर्म जगहों, बिस्तरों में ठण्ड से बचने के लिए घुस जाता है इस सांप को इंसानी देह की गर्मी बहुत पसंद होती है अक्सर यह साँप सोये हुए इन्सान के बिस्तर में गर्मी की तलाश में घुस जाता है और व्यक्ति के हिलने पर उसे डंस लेता है गहरी नींद में सोये हुए आदमी को कभी पता भी नहीं चलता और अधिक देर होने पर इन्सान मर जाता है इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है

अगर किसी इन्सान को करैत ने डंसा तो उसका घाव ढूढकर उसे एंटीबायोटिक से धोकर पट्टी से दूर तक बाँध देना चाहिए | एक जगह गाँठ नहीं लगाना चाहिए| घर में चीरा लगाने का प्रयास बिल्कुल न करें | मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाये हिलने और सोने न दे जिस अंग में डंसा हो उस अंग को हिलाने न दें,मरीज जितना हिलेगा विष उतनी तेजी से फैलेगा | और किसी भी सांप के काटने पर स्थानीय उपचार झाड़-फूँक में समय व पैसा  बर्वाद  न करे जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुचाएं क्योंकि सांप के काटने की दवाई (एंटी- वेनम )प्रत्येक सरकारी अस्पताल में उपलब्ध होती है जो कि सांप के जहर से ही बनी होती है |

 

रसेल वाईपर (दुबोइया ) Russell's viper / Daboia russelii)



 रसेल वाईपर एशिया महाद्वीप के भारत,श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, ताइवान, इंडोनेशिया ,चीन,पाकिस्तान,बांग्लादेश में पाया जाता हैं |

भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक के  मालाबार तट में ,बंगाल के उत्तरी भाग में पाया जाता है भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सोनभद्र ज़िले में रसेल वाईपर सांप बहुत अधिक पाए जाते हैं।

भारत के उत्तरी भाग में इसे चित्ती या चितकौड़िया साँप बोला जाता है और दक्षिण भारत में इसे घोनस बोलते है | रसेल नाम इस पर वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक रसेल के नाम पर पड़ा है |

यह सांप देखने में अजगर और पाइथन की तरह मोटा और गोल होता है इसकी लम्बाई 4 से 5 फीट तक होती है इसके शरीर में सुनहरे भूरे रंग के पान के पत्ते की तरह धब्बे बने रहते है सबसे बाहरी धेरा सफ़ेद रंग का होता है शरीर का रंग सुनहरा होता है इसकी त्वचा थोड़ी खुरदरी होती है यह साँप मोटा होने के साथ साथ बहुत फुर्तीला और गुस्सैल भी होता है अपने शिकार 5 फीट दूरी से उछल कर अटैक कर सकता है | रसेल वाईपर में हेमोटोक्सिन ज़हर पाया जाता है जबकि कोबरा और करैत सांप में न्यूरोटॉक्सिन जहर होता है जो तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता है हिमोटोक्सिन जहर खून को जमा देता है अगर रसेल वाईपर किसी को डंस ले तो व्यक्ति के खून में क्लॉट बनने शुरू हो जाते है और मल्टीपल ऑर्गन फेल हो जाते है सही समय पर इलाज न होने पर व्यक्ति की 2 या 3 घंटे में मौत हो जाती है |

रसेल वाईपर ऐसा साँप है अपने अंडो को अपने अन्दर ही सेंककर सीधे बच्चे देता है और एक बार में लगभग 30 बच्चे तक देता है | बच्चे जन्म से ही जहरयुक्त होते हैं बच्चों को बढ़ने में लगभग 2 वर्ष लगता है |

रसेल वाईपर चूहे और छोटे छोटे जीवों का अपना शिकार बनाता है चूहा इसका पसंदीदा आहार होता है यह सांप दिन में आराम करता है और रात में शिकार के लिए निकलता है | रसेल वाईपर  के ऊपर किसी व्यक्ति या जीव का पैर या कोई भी अंग पड़ने पर वह फुर्ती के साथ उस पर पलटवार करता है | यह सांप स्वभाव से सीधा माना जाता है परन्तु गुस्सा आने पर तेजी से भागता है और पकड़े जाने पर सीटी की तरह आवाज निकलता है |

 

अफाई  (Saw Scaled Viper Echis carinatus)




saw scaled viper वाईपर फॅमिली का एक जहरीला सांप है जो पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है यह सांप अधिक से अधिक 14 से 15 इंच तक बढ़ता है यह सांप भारत में पाए जाने वाले जहरीले साँपों में से एक हैं इसमें हिमोटोक्सिन जहर पाया जाता है यह छोटा दिखाई देने वाला सांप बहुत  गुस्सैल और चिढ़चिढ़ा होता है इसे जब भी खतरा महसूस होता है यह अपने को c शेप में  कोइल कर खतरे को बार बार बाईट करने की कोशिश करता है |

इसके मुंह का आकर तिकोना होता है इसकी आँख की पुतली सीधी होती है |यह साँप भारत,पाकिस्तान व श्रीलंका में पाए जाते है | भारत में यह सांप महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और पंजाब के चट्टानी क्षेत्रों में पाए जाते है | ये सांप चट्टानों के अन्दर पेड़ों के तनों या कटीली झाड़ी में रहते है इसकी जीभ पीले रंग की होती है इसके शरीर में सुन्दर सा चतुर्भुजाकार डिज़ाइन भूरे और मटमैले रंग में होता है और इसके खुरदरे शरीर में छोटे छोटे पत्तियों जैसी संरचना का डिज़ाइन बना रहता है

इस साँप का पसंदीदा आहार बिच्छू है  परन्तु अन्य छोटे छोटे reptiles को खा जाता है |

इसे saw scaled इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब इसे खतरा होता है तो यह लकड़ी काटने की आरी saw की तरह सी.... की आवाज करता है |

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