The Ship of Desert : Camel (ऊँट)

ऊँट के बारे में रोचक तत्थ हिंदी में || Interesting Facts about Camel in Hindi

रेगिस्तान का जहाज (The Ship of Desert) - ऊंट (Camel)

आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानने का प्रयास करते हैं कि ऊंट क्या है? इससे जुड़ी रोचक जानकारियां और ऊँट को रेगिस्तान का जहाज क्यों कहा जाता है? वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ऊँट की प्रासंगिकता  क्या है ?

ऊँट एक शानदार और अनेक विशिष्ट विशेषताओं से भरा हुआ जानवर है जो रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में भी अपने आप को जीवित बनाए रखता है एक ऊंट का जीवनकाल लगभग 50 से 55 वर्ष तक का होता है, और ऊँट की ऊंचाई लगभग 6 या 7 फीट तक होती है |

ऊँट एक कैमलस लीनिसस वंश का स्तनधारी,शाकाहारी व खुरधारी जीव है | ऊँट को आंग्ल भाषा में camel और संस्कृत में उष्ट्र कहा जाता है |

अनुमानतया पूरे संसार में लगभग 1.4 करोड़ ऊँट पाए जाते हैं जिनमे से लगभग 90 % ऊँट अफ्रीका में पाए जाते हैं | जबकि भारत में ऊंटों की संख्या में गिरावट आ रही है | बहुत ही सीधा दिखने वाला जानवर बड़े ही काम का होता है यही कारण है दुनिया में अधिक मात्रा में पाला जाता है | ऊँट केवल पालतू जानवर है और इसके पैर मुलायम गद्देदार होते हैं जो इन्हें रेत में चलने में सहायता करते हैं | जिससे कि रेगिस्तान में अधिकांश कार्य ऊंटों के द्वारा संभव होता है इसीलिए ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है |

ऊँटनी  का दूध और मांस बहुत फायदेमंद होता है | ऊंटनी  के दूध में वसा नहीं के बराबर पाया जाता है जबकि कैल्शियम और विटामिन दूसरे जानवरों की तुलना में कई अधिक मात्रा में पाया जाता है इसी कारण ऊंटनी  का दूध बहुत ज्यादा कीमती होता है तथा इसका मांस  कई बीमारियों से लोगों की रक्षा करता है

ऊँटनी  के दूध की दही नहीं बनती है | ऊंटनी के दूध में कैसीन माइसेलर की संरचना गाय व भैंस के दूध की तुलना में बड़ी होती है जिससे बड़े आकर के कैसीन माइसेलर आपस में नहीं चिपकते है अगर ऊंटनी के दूध से दही बनाना हो तो उसमें गाय,भैस और बकरी  का दूध मिलाना पड़ता है | माइसेल बड़े होने के कारण वे आपस में अच्छी तरह से नहीं चिपक पाते इसलिए ऊंटनी का दूध पतला ही बनता है अतः ऊंटनी के दही को ड्रिंकिंग कर्ड कहा जाता है |

ऊंट की पीठ पर कूबड़  होता है और अधिकांश लोगों का मानना है कि उस में पानी भरा रहता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता उसमें वसा जमा होती है आवश्यकता पड़ने पर वह बसा को भोजन के रूप में ग्रहण कर ऊर्जा प्राप्त करता है |  ऊंट के पीठ में यह कूबड़ उसके जन्म लेते समय नहीं होता जिस प्रकार एक मनुष्य का पेट उम्र के साथ-साथ  बड़ा होता है उसी प्रकार ऊँट का कूबड़ भी उम्र के साथ-साथ बढ़ता है

ऊँट दो प्रकार के होते है अरेबियन एवं बैक्ट्रियन ऊंट | अरेबियन ऊँट एक कूबड़ वाला होता है और भारत समेत पश्चिमी एशिया के रेगिस्तानी इलाको में पाया जाता है  जबकि बैक्ट्रियन ऊंट के दो कूबड़ होते है और इस प्रकार के ऊँट भारत के जम्मू-कश्मीर व लद्दाख तथा मध्य एशिया के गोबी का मरुस्थल, मंगोलिया, कजाकिस्तान व चीन के कुछ भागों में पाए जाते हैं |

एक कूबड़ वाला ऊँट

दो कूबड़ वाला ऊँट 

कूबड़ के आधार पर दुनिया में तीन तरह के ऊँट जाते हैं एक कूबड़ वाला ऊंट, दो कूबड़ वाला ऊँट  और बिना  कूबड़ वाला ऊँट | जब ऊँट छोटा होता है तब उसका कूबड़ नहीं होता और ऊँट लम्बे समय तक विना भोजन के रहता है तो उसका कूबड़ छोटा हो जाता है इसे ही बिना कूबड़ का ऊँट कहते है | सामान्यतया ऊंटों को रेगिस्तानी दलदली स्थानों पर रहने वाले  लोग ही पालते हैं परंतु आजकल लोग मनोरंजन के लिए पहाड़ी और अन्य स्थानों पर भी ले जाते हैं


बिना कूबड़ वाला ऊँट 

ऊँट सिर्फ दिखने में धीरे चलने वाले दिखते हैं। ये भी काफी तेज़ दौड़ सकते हैं, लेकिन कम समय के लिए।

ऊँट दिखने में सुस्त और धीरे चलने वाला जीव प्रतीत होता है लेकिन ऊंट रेगिस्तान में बहुत तेजी से दौड़ सकता है और इसकी गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है  परन्तु ऊँट तेज गति से अधिक समय के लिए नहीं दौड़ सकता है |

 ऊंट की खास बात यह है कि वह बिना खाना और पानी के, एक ऊँट काफी लम्बे समय तक जीवित रह सकता है। ऊँट बिना पानी पिए लगभग 5-6 माह तक जीवित रह सकता है | कई जानवरों के शरीर में जब पानी 15% कम हो जाता है, तो वो मरियल से हो जाते हैं। लेकिन एक ऊँट, पानी की 25% कमी भी सहन कर पाता है | बिना पानी इतने समय तक जिंदा रहने के कारण ऊँट का वजन जरूर कम हो जाता है  प्रकृति ने इस जानवर को ऐसा बनाया है कि यह अपने अंदर पानी जमा कर सकता है बाद में उस जमा पानी का प्रयोग कर यह कई महीनों तक अपने आप को जीवित रख सकता है | जब ऊँट को पानी मिलता है तो यह कई लीटर पानी पी देता है लगभग 100 से 150  लीटर पानी एक साथ पी सकता है |

ऊँट के आंसू बहुत कीमती होती हैं और इनको स्टोर कर रखा जाता है क्योंकि ऊंट के आंसू से सांप के जहर का एंटी डोज बनाया जाता है जिस कारण इनके आंसुओं की कीमत बहुत अधिक होती है ऊंट की आंखों की पलकें बड़ी होती है जो इनको रेगिस्तान में धूल भरी आंधी या रेत से बचाती है ऊँट के कान में भी बाल होते है जो रेतीली तूफ़ान आते समय रेत को कानों में घुसने से रोकती है | ऊँट का सिर छोटा गर्दन लंबी और टांगे लंबी होती है लम्बी गर्दन ऊँची कटीली झाड़ियां खाने में मदद करती है और लम्बी टाँगे जमीन की गर्मी (तपन) से बचाती है | ऊँट के बाल सूरज की किरणों को प्रतिबिम्बित करते हैं, जिससे ऊँट का शरीर ठंडा रहता है |

ऊंट बड़ा ही समझदार जानवर होता है वह अपनी मां और साथ पैदा हुई ऊंटनी को पहचानता है उनके साथ गलत संबंध स्थापित नहीं करता है जबकि  जानवरों की दुनिया में इस नियम का पालन नहीं किया जाता है

ऊँट का मुंह दो भागों में बंटा होता है जिससे यह कटीली झाड़ियों को बिना मुंह कटे खा लेता है

अक्सर कहा जाता है ऊँट थूकते है, ऊँट तभी थूकते हैं जब उन्हें आसपास कोई खतरा महसूस होता हैं | 

आशा करता हूँ कि ऊँट के बारे रोचक तत्थ आपके लिये ज्ञानप्रद सिद्ध हुई होगी | इसी तरह  जीव – जंतुओं की जानकारी के लिए ब्लॉग में visit करते रहें | धन्यवाद 👏👏

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